8TH SEMESTER ! भाग- 107( An Unconscious Break-4)
जब मुझे और अरुण को हॉस्टल के सीनियर्स कैंटीन से धक्का देकर बाहर कर रहे थे,तब एक वक़्त के लिए मेरी नज़रें ऐश से मिली...वो इस वक़्त अंदर तक डरी हुई थी,लेकिन कुछ बोलने,कुछ कह पाने की हिम्मत उसमे नही थी... जब मुझे धक्का देकर कैंटीन से बाहर निकाला जा रहा था तो ऐश की आँखे मुझसे मदद की गुहार लगा रही थी... उसकी सफेद सूरत लाल रंग की मूरत मे तब्दील होने लगी थी... मैने कभी कल्पना तक नही की थी कि मैं ऐश को इस हालत मे देखूँगा... और मैने जब कुछ नही किया तो उसकी भूरी आँखों से आँसू की कुछ बूंदे उसके गाल को भिगोति हुई टेबल पर जा गिरी.... लेकिन मैं फिर भी कुछ नही कर पाया,क्यूंकी इससे हॉस्टल के लड़के ही मेरे खिलाफ हो जाते और ये नौशाद वही लड़का था जिसने वरुण को मारने मे MTL भाई के साथ मिलकर मेरी मदद की थी... ऐसे मे मै विरोध करू भी तो कैसे... जमीर गवाही नहीं दे रहा था.
मेरे दिल के इस वक़्त दो टुकड़े हो चुके थे,एक हिस्सा मुझसे कह रहा था कि मैं नौशाद की बात मानकर चुप-चाप यहाँ से चला जाऊ..तो दिल का दूसरा हिस्सा मुझे धिक्कार रहा था,मेरे दिल के दूसरे कोने से आवाज़ आ रही थी कि कैंटीन मे जो कुछ हो रहा है,जो कुछ होने वाला है,उससे दो ज़िंदगिया बर्बाद हो जाएगी और उस बर्बादी का ज़िम्मेदार कोई और नहीं बल्कि मैं खुद रहूँगा...इसलिए मैं उन दोनो की मदद करू.....
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मैं एक रूल के लिए ये सब कुछ नही होने दे सकता था और ये कंडीशन ऐसी थी कि मेरा 1400 ग्राम का ब्रेन भी ठप्प पड़ गया था...मुझे कोई तरक़ीब सोचने के लिए कुछ वक़्त लगता पर कम्बख़्त वक़्त ही तो नही था मेरे पास.... उस पल मेरी कही हुई चन्द लाइन्स जो मैने खुद ऐश से कही थी वो मुझे याद आ गयी....
"तेरे इश्क़ मे यदि कोई मेरे सीने मे खंजर खोप दे....
या फिर दिल निकाल कर उसे अंगरो के बीच रख दे,
मुझे इसकी परवाह नही,लेकिन यदि तेरी आँखो से...
आँसू का एक बूँद भी निकला तो वो मेरे लिए कयामत है...."
और उसकी आँखों से आंसू निकाल चुके थे, क़यामत आ चुकी थी..लेकिन मै ही अहसान फरामोश था शायद.. जो कुछ भी नहीं कर रहा था.
"अरमान.... कुछ कर ना.... वरना आज जो होने वाला है उसका अंजाम बहुत बुरा होगा..."
"सोचा तो है...पर ...पहले एक बात बता, तू मार खाने से डरता तो नही..."
"कोशिश करूँगा...सहने की "
"तो चल आजा फिर.... एक प्लान है मेरे पास..."
"कैसा प्लान..."
"प्लान ये है कि ऐश और दिव्या को कैसे भी करके कैंटीन से निकलना है और सीनियर्स पर हाथ भी नही उठाना है और तो और हमे इसका भी ख़याल रखना है कि उन दोनो आइटम्स मे से कोई भी बाहर जाकर नौशाद और उसके दोस्तो की शिकायत ना करे.... वरना प्रिंसिपल जिन्दा गाड़ देगा इन दोनों को इनकी इस हरकत पर... अभी ये नौशाद गुस्से मे है, समझ नहीं रहा इस बात को "
"क्या ये मुमकिन है...?? मतलब तूने अभी जो कहा..जिसमे दिव्या और ईशा भी बच जाएंगी और नौशाद से लड़ाई भी नहीं होगी...???"
" गांधीवाद जिंदाबाद ..... वैसे याद है मैने क्या कहा था कि कभी ये मत भूलना की मैं अरमान हूँ... हर सिचुएशन के लिए मेरे पास प्लान रहता है... "
"भैया जी,अपनी बड़ाई बाद मे कर लेना ,पहले ये बताओ की प्लान क्या है..."
मैने अरुण को पकड़ा और कैंटीन के गेट, जो कि आधा खुला हुआ था उसपर पूरी ताक़त से अरुण को बिना बताये धक्का दे दिया.. अरुण मुझे गाली देते हुए चिल्लाया और उसके गेट से टकराने के कारण एक जोरदार आवाज़ हुई...
"ना बे हरामी, तुझे यहाँ से जाने के लिए कहा था ना...."अरुण को कैंटीन के अंदर देख नौशाद ने अरुण को कहा और साथ ही अपने दोस्तो को भी गालियाँ बाकी की उन्होने कैंटीन का गेट क्यूँ बंद नही किया...
"मैं भी हूँ इधर..."कैंटीन के अंदर लगाकर हीरो के माफिक़ एंट्री मारते हुए मैने कहा..."साला जब भी एक्शन वाला सीन होता है, मेरा गॉगल्स मेरे साथ नही रहता... वरना क्या मजा आता, जब ईशा मुझे ऐसे गॉगल लगाकर अंदर आते हुए देखती... दौड़कर मुझसे लिपट जाती "
"वैसे तेरा प्लान क्या है,मुझे अब तक नही पता..."कपड़े झाड़ते हुए अरुण खड़ा हुआ और नौशाद अब मेरी माँ -बहन को गालिया देने लगा था.
"प्लान ये है कि तू जाके नौशाद के उपर कूद पड़,मैं बाकियो को देखता हूँ..."
"साले,मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था कि तू इतना घटिया प्लान भी बनाता है...नौशाद तो आज मेरा कचूमर बना देगा..."लंबी साँस भरते हुए अरुण ने कहा
"साले... तुझे समझ नहीं आता... एक बार मे. तेरे को पेलू तब समझेगा..."अरुण को अपनी तरफ आता देख नौशाद उसपर चीखा, लेकिन अरुण... सर..सर... एक बार मेरी बात तो सुनिए, सर... कहते हुए धीरे -धीरे नौशाद की तरफ बढ़ा और जब उसके पास पंहुचा तो एक झटके मे नौशाद के उपर कूद पड़ा...
अरुण के द्वारा किए गये अचानक इस हमले से नौशाद ने अपना कंट्रोल खो दिया और दिव्या से दूर अरुण के साथ एक तरफ गिर पड़ा...नौशाद के गिरने के साथ ही दिव्या भी एक तरफ गिर पड़ी और मैने तुरंत जाकर दिव्या को सहारा देकर उठाया और ईशा के साथ उसे वहाँ कैंटीन से भाग जाने के लिए कहा.....लेकिन इस वक़्त मेरे सामने हॉस्टल के तीन सीनियर्स खड़े थे....
"दो को तो मैं रोक लूँगा,एक को तुम दोनो संभाल लेना...."
"लेकिन कैसे..."हान्फते हुए दिव्या बोली...
"तुम दोनो के उपर का माला खाली है क्या, इतने सारे ग्लास ,प्लेट, चम्मच.... टेबल पर रखे है...सब फोड़ देना उसके उपर..."
"ठीक है..."
और मैने ऐसा ही किया.. मैने भी अरुण की तरह सर..सर... मेरी बात तो सुनिए सर... कहते हुए उन तीनो के थोड़ा करीब पंहुचा और फिर दो के ऊपर कूद पड़ा... हम तीनो तुरंत ज़मीन मे गिरे, जिससे मेरा एल्बो बुरी तरह फर्श से टकराया. उधर तीसरे के सर पर दिव्या और ऐश ने काँच की ग्लास फोड़ डाली और वहाँ से भाग गयी....दोनो को भागते देख मैं भी वहाँ से उठा और अपनी कोहनी सहलाते हुए लड़खड़ा कर उनके पीछे बाहर भागा..... वो दो सीनियर्स अब भी ज़मीन मे पडे हुए अपना शरीर सहला रहे थे. बाहर जाकर मैने दिव्या और ऐश को आवाज़ दी....
"अरमान...अब क्या है..."ऐश एक सेकंड के लिए रुकी और फिर से भागने लगी...
"ये बात किसी को मत बताना प्लीज...वरना हॉस्टल मे मेरी तेरही -बरखी हो जायेगी... पार्किंग मे अपने कार के अंदर रहो, मै तुम दोनों से थोड़ी देर मे आकर मिलता हूँ...".
मैने कहा...पर मुझे नहीं मालूम था कि, वहा से भागते हुए उन दोनों ने मेरी कितनी बात सुनी थी. वैसे भी उन दोनो पर यकीन करना कि वो दोनो वैसा ही करेंगी जैसा कि मैने उन्हे कहा है...इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल था...खैर, इसके अलावा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता भी तो नही था...खुद को मजबूत करके मैं वापस कैंटीन मे घुसा...जहाँ नौशाद और हॉस्टल के तीनो सीनियर लड़के अरुण को पीट रहे थे और अरुण अपना सर हाथ से ढके हुए नीचे पड़ा...sorry सर, sorry सर.... कहते हुए मार खा रहा था.
"Hello, Gentlemen..."पहले मैने अपने हाथो की उंगलियों को चटकाया और फिर गर्दन...उसके बाद मैने अपने शर्ट का कॉलर खड़ा किया ,जिससे उन सबको ऐसा लगने लगा कि मैं उनसे भिड़ने के लिए तैयार हूँ...लेकिन मेरा प्लान कुछ दूसरा था..मैने एक बार और अपनी उंगलियो को चटकाने कि कोशिश की... लेकिन वो नहीं चटकी... तब मैने कहा
"नौशाद भैया, उसे अकेले क्यों मार रहे हो... मै भी तो हूँ...ये सारा प्लान मेरा ही था... मुझे भी मारो. मै मार खाने के लिए बिल्कुल तैयार है "
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मुझे अंदाज़ा था कि अब नौशाद और उसके दोस्त हम दोनो को बहुत जमकर कूटेंगे ...उनके गुस्से को देखकर लग भी यही रहा था...लेकिन उन्होने ऐसा नही किया,उन्होने अरुण को छोड़कर ज़्यादा नही सिर्फ़ दो-तीन थप्पड़ और चार-पाँच घुसे ही मुझे मारा और फिर फर्श पर गिराकर दो -तीन लात कसकर मुझे ज्यादा... साथ मे धमकी भी दी की वो लोग आज रात मे हम दोनो को जान से मार देंगे.... हॉस्टल कि छत से नीचे फेक देंगे. हम दोनों का अपने बाकी साथियों के साथ मिलकर बलात्कार करेंगे..नंगा करके सडक पर दौड़ाएंगे...
"चल उठ,अभी प्लान का एक और हिस्सा बाकी है..."अरुण को ज़मीन से उठाते हुए मैने कहा... नौशाद और बाकी सीनियर्स के जाने के बाद मैने कहा
"भाड़ मे जाए तू और तेरा प्लान...साले ,हाथ मत लगा मुझे..."कराहते हुए अरुण उठकर बैठ गया"साले ये कैंटीन वाले भी महा फट्टू है,जो लफडा शुरू होते ही यहाँ सब बंद करके खिसक लिए..."
"ठीक ही तो है...हमें किसी ने मार खाते हुए नहीं देखा, वरना बेइज्जती नहीं होती...?? वैसे भी लड़की चाहिए तो मार तो खाना ही पड़ेगा ना भाई......"
"घंटा मेरा... जब तू बाद मे दोबारा आया और कॉलर किया तो मैने सोचा था कि तू अब इन सबको मारेगा लेकिन तू तो एक नंबर का फट्टू निकला बे ...हाए राम ! लगता है किडनी,लिवर सब फूट गया है... उस भड़वे नौशाद ने सीधे एक लात पेट पर दे मारी है....तू आज के बाद मुझसे बात मत करना..."
"अबे इतना भी नही मारा उन लोगो ने,जो तू ऐसे लौन्डियो की तरह रो रहा है... मुझे भी तो मारा. लेकिन लड़कियों कि इज्जत तो बच गई ना... इतने मार से डर गया तू, ऐसे मे देश की क्या खाक सेवा कैसे करेगा... देश के लिए तेरी कुर्बानी चाहिए मुझे..चार गोली तेरे सीने मे देखना चाहता हूँ मैं, इंडिया -पाकिस्तान बॉर्डर पे..."
Raghuveer Sharma
16-Dec-2021 05:53 PM
यह प्लान तो समझ के बाहर हो गया
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